अर्जुन के अलावा किन और दो लोगों ने सुना था गीता का उपदेश ?
भगवान श्रीकृष्ण के गीता के उपदेश को अर्जुन के अलावा दो और लोगों ने सुना था। क्या आप जानते हैं वो कौन थे? जानिए इस लेख में।

भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यह उपदेश अर्जुन के लिए ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के लिए है। गीता का उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला है। इसमें कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, दर्शन, धर्म और नीति आदि सभी विषयों का समावेश है।
गीता का उपदेश अर्जुन के अलावा दो और लोगों ने सुना था। वे हैं:
- हनुमान जी: अर्जुन के रथ की ध्वजा पर हनुमान जी विराजमान थे। उन्होंने भी गीता का उपदेश सुना और समझा।
- संजय: संजय धृतराष्ट्र के दूत थे। वे युद्ध को देखने के लिए कुरुक्षेत्र गए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दिव्य दृष्टि प्रदान की थी, जिससे वे युद्ध के मैदान को देख और सुन सकते थे। संजय ने धृतराष्ट्र को युद्ध के मैदान में होने वाली सभी घटनाओं का वर्णन किया। इसमें गीता के उपदेश का वर्णन भी शामिल था।
इन तीनों लोगों ने गीता का उपदेश सुना और समझा। उन्होंने इस उपदेश को अपने जीवन में भी अपनाया। गीता का उपदेश इन तीनों लोगों के लिए ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के लिए एक मार्गदर्शक है।
हनुमान जी ने गीता का उपदेश कैसे सुना?
हनुमान जी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान थे। उन्होंने भी गीता का उपदेश सुना और समझा। हनुमान जी को भगवान श्रीकृष्ण के मुख से गीता का उपदेश सुनकर बहुत आनंद हुआ। उन्होंने इस उपदेश को अपने जीवन में भी अपनाया।
हनुमान जी ने गीता के उपदेश से यह सीखा कि मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन निष्काम भाव से करना चाहिए। उसे किसी भी परिस्थिति में अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होना चाहिए।
संजय ने गीता का उपदेश कैसे सुना?
संजय धृतराष्ट्र के दूत थे। वे युद्ध को देखने के लिए कुरुक्षेत्र गए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दिव्य दृष्टि प्रदान की थी, जिससे वे युद्ध के मैदान को देख और सुन सकते थे। संजय ने धृतराष्ट्र को युद्ध के मैदान में होने वाली सभी घटनाओं का वर्णन किया। इसमें गीता के उपदेश का वर्णन भी शामिल था।
संजय ने गीता के उपदेश को सुनकर बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने इस उपदेश को अपने जीवन में भी अपनाया।
संजय ने गीता के उपदेश से यह सीखा कि मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए किसी भी कठिनाई का सामना करने से नहीं डरना चाहिए। उसे हमेशा सत्य और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए।
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